गुड न्यूज़, बैंकों के जरिए हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी को मिली मंजूरी

  पिछले कुछ महीनों में देशभर से ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें सरकारी बैंकों के मर्जर के बाद उन मर्ज हुए बैंकों के ग्राहकों ने बैंक के जरिए इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी थी उन्हें पहले के समान कवरेज के लिए तीन गुना तक प्रीमिमय भरना पड़ा.

health insurance portability
Health Insurance Portability

इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने उन लाखों ग्राहकों को राहत दी है जिन्हें बैंकों के मर्जर के बाद समान बेनिफिट की पॉलिसी लेने के लिए ज्यादा प्रीमियम देना पड़ रहा है. IRDAI के नोटिफिकेशन के मुताबिक ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में बैंकों के द्वारा ग्राहकों को दी गई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) को बैंक से जुड़ी अलग इंश्योरेंस कंपनी के साथ खरीदने के लिए पोर्टेबिलिटी की मंजूरी दी जाती है” जिससे ग्राहक का कवरेज और बेनिफिट जारी रहेंगे. 

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पिछले कुछ महीनों में देशभर से ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें सरकारी बैंकों के मर्जर के बाद उन मर्ज हुए बैंकों के ग्राहकों ने बैंक के जरिए इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी थी उन्हें पहले के समान कवरेज के लिए तीन गुना तक प्रीमिमय भरना पड़ा, क्योंकि जिन बैंकों के ग्राहक के तौर पर सालों से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी थी उन बैंकों का दूसरी सरकारी बैंकों में मर्जर हो गया. और सालों से मिलने वाले बेनिफिट ग्राहकों के लिए खत्म हो गए क्योंकि नए बैंक का ग्राहक से जुड़ी हुई इंश्योरेंस कंपनी के साथ करार नहीं है.

सरकार के एलान के बाद 1 अप्रैल 2020 से 10 PSU बैंकों को 4 बड़े बैंकों में मर्जर किया गया और मर्जर के वक्त IRDAI ने मर्जर होने वाले बैंकों के ग्राहकों को मौजूदा पॉलिसी को अपने रिन्युअल पीरियड तक संबंधित इंश्योरेंस कंपनी के साथ जारी रखने की छूट दी थी, लेकिन ग्राहकों को पॉलिसी पीरियड खत्म होने के बाद ज्यादा प्रीमियम देकर रिन्युअल करवाने की दिक्कतें आ रही थी.

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जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के संगठन GI काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल सी आर विजयन के मुताबिक मर्ज हुए बैंकों के ग्राहकों के लिए पुरानी पॉलिसी  रिन्युअल नहीं हो पा रही थी क्योंकि नए बैंक में वो इंश्योरेंस पॉलिसी की पुरानी दरें और बेनिफिट नहीं है. नए नियमों से लाखों ग्राहकों को फायदा होगा. 

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बैंक अपने डिपॉजिटर्स को इंश्योरेंस पॉलिसी ग्रुप पॉलिसी के तौर पर बेचता है, IRDAI के नियमों के मुताबिक बैंकों को इंश्योरेंस पार्टनर में बदलाव करना था क्योंकि एक बैंक एक सेगमेंट की 3 कंपनियों तक ही पार्टनरशिप कर सकता है लेकिन मर्जर की वजह से IRDAI ने बैंकों को छूट दी.


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