Salary Account or Saving Account
अधिकांश कामकाजी लोगों का यह सोचा है, की सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट कैसे अलग हो सकता है क्योंकि एक नज़र में दोनों की विशेषताएं एक समान हैं। हालाँकि, वे दोनों अलग-अलग खाते हैं। सरकारी कर्मचारी हो या ऑर्गनाइज सेक्टर का कोई कर्मचारी सब का सैलरी अकाउंट होता है. जिसमे कर्मचारियों को हर महीने सैलरी आती है सैलरी अकाउंट के अपने कुछ लाभ होते है तो सेविंग अकाउंट के अपने कुछ लाभ।
Salary Account v/s Saving Account |
कंपनियों के तरफ से ही आवेदन करने पर बैंक द्वारा सैलरी अकाउंट खोले जाते है या सेविंग अकाउंट को सैलरी अकाउंट में चेंज किया जाता है यह अकाउंट खुद कर्मचारियों द्वारा ऑपरेट किया जाता है। आइए अब सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट के बीच के अंतर को समझते हैं
सैलरी अकाउंट
Salary Account
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, मूल रूप से आपके नियोक्ता द्वारा आपकी सैलरी को क्रेडिट करने के लिए एक सैलरी अकाउंट खोला जाता है। इस खाते की विशेषता यह है कि इस अकाउंट को बनाए रखने के लिए मिनिमन बैलेंस रखने की कोई आवश्यकता नहीं होती है इसलिए इसे जीरो बैलेंस अकाउंट भी कहा जा सकता है। यह अकाउंट विशेष रूप से कर्मचारी वर्ग के लिए बनाया गया है।
इस अकाउंट पर कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं जैसे अधिक डेबिट कार्ड लिमिट, लोन पर कुछ ऑफ़र, अधिक लिमिट के साथ बेहतर क्रेडिट कार्ड ऑफ़र।
सेविंग अकाउंट
Savings Account
सेविंग अकाउंट कोई भी खोल सकता है, इस खाते का मुख्य उद्देश्य सेविंग (बचत) को प्रोत्साहित करना है।
Difference between Salary Account and Saving Account
सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट के बीच प्रमुख अंतर
अकाउंट कौन खोल सकता है
सैलरी अकाउंट को नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए खुलवाया जाता है वही सेविंग अकाउंट कोई भी खुलवा सकता है
उद्देश्य
एक सैलरी अकाउंट आमतौर पर एक नियोक्ता द्वारा कर्मचारी की सैलरी जमा करने के उद्देश्य से खोला जाता है, एक सेविंग अकाउंट बैंक के पास पैसा रखने या सेविंग करने के उद्देश्य से पैसा जमा करने के लिए खोला जाता है।
मिनिमम बैलेंस
सैलरी अकाउंट में आमतौर पर न्यूनतम बैलेंस रखने की आवश्यकता नहीं होती हैं, जबकि आपको अपने सेविंग अकाउंट में एक निश्चित मिनिमम बैलेंस बनाए रखना पड़ता है।
सैलरी नहीं आने पर क्या होगा
कई बार कर्मचारी एक कंपनी को छोड़ दूसरी कंपनी में चले जाते हैं. इसमें यह देखा जाता है कि दूसरी कंपनी में कर्मचारी का नया सैलरी अकाउंट खुल जाता है इस स्थिति में पुराने सैलरी अकाउंट में सैलरी आना बंद हो जाती है मान लीजिये आपके सैलरी अकाउंट में एक तय समय तक सैलरी नहीं अति है तो बैंक उस आकउंट को रेगुलर सेविंग अकाउंट में कन्वर्ट कर देगा।
ब्याज की दर
आमतौर पर दोनों ही अकाउंट एक सामान इंटरेस्ट प्रदान करते है हलाकि सैलरी अकाउंट कॉर्पोरेट बैंक में खुलता है इस लिए इसमें सेविंग आकउंट से काम बी ब्याज मिटा है