Evergrande Crisis अगर चीन की यह कंपनी दिवालिया हुई तो आ सकती है ग्लोबल मंदी

चीन का एवरग्रांडे संकट (Evergrande Crisis) दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहा है। एवरग्रैंड (Evergrande) चीन की दूसरी सब से बड़ी रियल स्टेट कंपनी है सुर्खिया बटोरने का कारण यह है कि वह दिवालियापन के कगार पर पहुंच गया है। कंपनी में दुनिया के बड़े-बड़े इन्वेस्टर, कंपनीस, ग्रुप्स और लोगो के पैसे लगे हैं और अब यह कंपनी अपने लोन डिफॉल्ट कर रही है। 300 अरब डॉलर का कर्ज इस वक्त एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी पर है और कंपनी चीन के फॉरेन बॉन्ड्स में लगभग 9 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है।

EVERGRAND GROUP, FINVESCO
EVERGRANDE GROUP

एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी की शुरुवात

एवरग्रैंड (Evergrande) की शुरुवात पानी की बोतल बेचने से हुई थी बाद में इस कंपनी ने सुआर पालन का बिज़नेस शुरू किया। अब कंपनी चीन की शीर्ष पेशेवर सॉकर टीम की मालिक भी है, यह कंपनी लम्बे समय तक चीन के रियल स्टेट की पोस्टर बॉय भी रही है 
    वैश्विक आर्थिक सुधार को एवरग्रांडे संकट (Evergrande Crisis) से खतरा है। यही कारण है कि अगर एवरग्रांडे समूह (Evergrande Group) दिवालिया हो जाता है, तो चीनी अर्थव्यवस्था को कड़ी चोट लगेगी और साथ ही पूरी दुनिया को भी प्रभावित करेगी। इस चीनी रियल एस्टेट कंपनी के संकट की आहट दुनिया भर के अन्य बाजारों तक पहुंचने लगी है। भारतीय शेयर बाजार भी इससे बच नहीं सकते है। वैश्विक बिक्री के दबाव से सोमवार को सेंसेक्स 525 अंक टूट गया। अगर हालात नहीं सुधरे तो चीन में मंदी का खतरा बना हुआ है जिससे वैश्विक मंदी भी आ सकती है। 


एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी दिवालिया हुई तो

चीन में एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी के पास 1,300 से अधिक संपत्तियों का मालिक है और यह समूह लगभग 2,800 रियल एस्टेट परियोजनाओं का प्रबंधन भी करता है। कंपनी में कर्मचारियों की संख्या करीब 2 लाख हैं और यह कंपनी हर साल चीन में करीब 38 लाख नौकरियां पैदा करती थी। अगर एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो जिन्होंने इसके प्रोजेक्ट के अंतर्गत बन रहे भवनों में पैसा लगाया है, उनकी पूंजी डूब जाएगी। घर खरीदार, सप्लायर्स, बैंक सभी प्रभावित होंगे। इसके अलावा एवरग्रांडे के साथ कारोबार करने वाली कंपनियों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हो सकता है कि यह नुकसान कुछ कंपनी को डूबा भी दे। 

क्या एवरग्रांडे संकट (Evergrande Crisis) चीन का लेहमैन ब्रदर्स वाला संकट है

कुछ विश्लेषकों का डर है कि एवरग्रांडे संकट (Evergrande Crisis) चीन के लिए लेहमैन ब्रदर्स वाला संकट साबित न हो। भारतीय बैंकर उदय कोटक का कहना है कि एवरग्रैंड संकट (Evergrande Crisis) भारत में आईएलएंडएफएस (IL&FS) संकट की याद दिलाता है। हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है की यह संकट लेहमैन संकट जैसा नहीं है। परन्तु एवरग्रैंड संकट (Evergrande Crisis) चीन के लिए किसी गंभीर परीक्षा से काम नहीं है। अमेरिका की बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स ने 15 सितंबर 2008 को आधिकारिक तौर पर खुद को दिवालिया घोषित किया था। तब लेहमैन संकट आया था और इस संकट के आने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी छा गई थी। परन्तु अब 13 सालो बाद एवरग्रांडे संकट (Evergrande Crisis) के जरिए चीन से वैश्विक मंदी के बदल छाने लगे है। 
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एवरग्रैंड का क्या कहना है

एवरग्रैंड (Evergrande) ने कहा है की इस कि उसने वित्तीय सलाहकारों को नियुक्त किया है जो कंपनी को इस नगदी संकट से उबार सके। लेकिन साथ यह भी कहा है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह अपने सभी वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में सक्षम होगा। एवरग्रैंड पर चीन के पुरे प्रॉपर्टी मार्केट की देनदारियों का 6.5 फीसदी हिस्सा हैं एवरग्रैंड का स्टॉक इस वर्ष लगभग 80 फीसदी तक नीचे जा चुका है

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एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी की हालत ऐसे क्यों हुए 

एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी अपने पास लगभग 355 अरब डॉलर की एसेट रखती हैं। फिर भी कंपनी दिवालिया होने की कगार जा चुकी है एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी अपनी आक्रामक रणनीति के चलते बैंकों से कर्ज लेकर केवल अपने विस्तार पर जोर देती रही। परन्तु कभी कर्ज चुकाने पर ध्यान नहीं दिया। कई सालो तक एवरग्रैंड ने किसी को भी अहसास तक नहीं होने दिए की कंपनी भरी कर्जे में है भनक तब लगी जब चीनी सरकार ने नियमों बदलाव किए। अब पहली बार एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी ने माना की वो 300 अरब डॉलर से ज्यादा कर्ज में है

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दुनिया के अरबपतियों का पैसा भी डूब रहा है 

एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी में दुनिया के कई अरबपतियों ने भी पैसा लगाया था। कंपनी पर इस संकट के कारण एलन मस्क, जेफ बेजोस, वॉरने बफे, बिल गेट्स, मार्क जुकरबर्ग आदि लोग भी अपनी 26 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति को गंवा चुके हैं। साथ ही दुनिया भर के 500 सबसे अमीर लोगो ने भी कुल मिलाकर 135 अरब डॉलर गवां है। एवरग्रैंड के फाउंडर व चेयरमैन हुई का यान की सपंत्ति भी 16 अरब डॉलर घटकर 7.3 अरब डॉलर रह गई है।

भारत पर एवरग्रांडे संकट (Evergrande Crisis) का प्रभाव 

भारत की कई कंपनियां भी एवरग्रैंड ग्रुप से डायरेक्ट या इन-डायरेक्ट तौर पर जुड़ी हैं खासकर स्टील, केमिकल्स और मेटल सेक्टर की कंपनियां जो अपना प्रोडक्शन एवरग्रैंड (Evergrande) कंपनी के जरिये चीन के रियल स्टेट मार्केट में खपाती है एवरग्रैंड के दिवालिया होने की आशंका से भारतीय बाजार बी नहीं बच सकते है 

 


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