FD से बेहतर विकल्प, घट रही ब्याज दरों से हैं नाखुश तो डेट फंड में करें निवेश, कई हैं फायदे
Debt Fund vs Fixed Deposits |
समय के साथ रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में लगातार कटौती की है जिसके बाद से ज्यादातर प्रमुख बैंकों ने भी अपनी जमा योजनाओं पर ब्याज कम किया है. प्रमुख 5 बैंको की पांच साल की एफडी पर औसतन अब 6 फीसदी सालाना के आस पास ही रिटर्न मिल रहा है वहीं, सरकार की छोटी बचत योजनाओं मसलन पीपीएफ, एनएससी, टाइम डिपॉजिट जैसी स्कीम भी पर पिछले दिनों ब्याज 1.4 फीसदी तक घटा दिया गया है इन योजनाओं का आकर्षण निश्चित रूप से पहले से कम हुआ है
क्या होता है डेट फंड
डेट फंड एक तरह का म्यूचुअल फंड है जो प्रमुख रूप से फिक्स्ड इन्कम सिक्योरिटीज में निवेश करता है. जैसे गर्वनमेंट सिक्योरीटीज, कॉर्पोरेट बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट आदि. डेट फंड उन निवेशकों के लिए उपलब्ध सबसे सुरक्षित निवेश साधनों में से एक हैं, जो बिना जोखिम के अपने निवेश पर अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं. इसके अलावा इनका रिटर्न काफी स्थिर है, क्योंकि अभी इक्विटी फंड में रिटर्न अस्थिर है.
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डेट फंड के लाभ
इंडेक्सेशन बेनिफिट: डेट म्यूचुअल फंड्स में टीडीएस नहीं लगता है. अगर इनमें निवेश तीन साल तक बनाए रखा जाए तो इंडेक्सेशन बेनिफिट मिल सकता है और आपकी टैक्स देनदारी घट सकती है.
फिक्स्ड रिटर्न: डेट फंड मुख्य रूप से सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जो निश्चित ब्याज देते हैं, उनसे रिटर्न की गारंटी होती है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि डेट फंड के खराब प्रदर्शन की संभावना नहीं है.
हाई रिटर्न: डेट फंड में स्माल सेविंग्स स्कीम, सेविंग्स अकाउंट या बैंक एफडी जैसे पारंपरिक बचत के विकल्पों की तुलना में अच्छा रिटर्न मिल रहा है. डेट फंड की अलग अलग कअेगिरी को देखें तो इसमें औसतन सालाना रिटर्न 7 से 8 फीसदी के बीच है. एफडी में सालाना रिटर्न 6 फीसदी, जबकि बचत खाते पर 4 फीसदी ही है.
सही अलोकेशन: डेट फंड में निवेश से पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई हो जाता है. इससे बाजार जोखिम कम हो जाता है.
लिक्विडिटी: अगर पैसा निकालना हो तो डेट म्यूचुअल फंड को 1 रुपये की यूनिट्स में तोड़ा जा सकता है और निवेशक जरूरी रकम निकाल सकता है. जबकि स्मॉल सेविंग प्रोडक्ट या एफडी के मामले में आपको पूरा डिपॉजिट तोड़ना पड़ता है. ओवरनाइट फंड या लिक्विड फंड बहुत ज्यादा लिक्विड हैं और सुरक्षित भी. इनमें अपनी सुविधा के अनुसार यूनिट को खरीद व बेच सकते हैं.
हाई रिटर्न: डेट फंड में स्माल सेविंग्स स्कीम, सेविंग्स अकाउंट या बैंक एफडी जैसे पारंपरिक बचत के विकल्पों की तुलना में अच्छा रिटर्न मिल रहा है. डेट फंड की अलग अलग कअेगिरी को देखें तो इसमें औसतन सालाना रिटर्न 7 से 8 फीसदी के बीच है. एफडी में सालाना रिटर्न 6 फीसदी, जबकि बचत खाते पर 4 फीसदी ही है.
सही अलोकेशन: डेट फंड में निवेश से पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई हो जाता है. इससे बाजार जोखिम कम हो जाता है.
डेट फंड के प्रकार
1 दिन के निवेश के लिए: ओवरनाइट फंड
3 महीने के लिए: लिक्विड फंड
1 से 6 महीने के लिए: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड
6 से 12 महीने के लिए: लो ड्यूरेशन फंड
12 महीने से ज्यादा के लिए: शॉर्ट टर्म फंड
2 से 3 साल के लिए: मीडियम टर्म प्लान (बांड फंड)
3 से 5 साल के लिए: मीडियम टु लांग
2 से 3 साल के लिए: कॉरपोरेट बांड फंड
ब्याज दरों का कितना जोखिम?
जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो बांड की कीमतें गिरती हैं. दरें घटने पर बांड की कीमतें चढ़ती हैं. सभी डेट फंड्स के साथ ब्याज दर वाला जोखिम होता है, लेकिन असर अलग-अलग हो सकता है. किसी भी डेट सिक्योरिटी पर डिफॉल्ट का खतरा तब पैदा होता है, जब उसे जारी कर पैसे जुटाने वाली संस्था जरूरी भुगतान न कर पाए.
निवेश से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह जरूर ले.
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Good and very Intresting fact .