Global recession world bank says
विश्व बैंक ने आर्थिक मंदी के बीच 2023 में वैश्विक मंदी की चेतावनी दी
विश्व बैंक ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) अगले साल मंदी का सामना कर सकती है, दुनिया 2023 तक वैश्विक मंदी (global recession) की ओर बढ़ रही है क्योंकि महाद्वीपों के केंद्रीय बैंकों (central banks) ने मुद्रास्फीति (inflation) के जवाब में ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी है। मंदी की अवधि धुंधली बनी हुई है, लेकिन यह विकसित अर्थव्यवस्थाओं और उभरते बाजारों को स्थायी नुकसान पहुंचाएगी।
World Bank
विश्व बैंक के अनुसार, दुनिया भर के केंद्रीय बैंक (central banks) इस साल ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं, जो पिछले कुछ दशकों में नहीं देखी गई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि हाल ही में ब्याज दरों में वृद्धि से देशों को मुद्रास्फीति दर (inflation rate) को कम करने में तुरंत मदद नहीं मिलेगी, इस कारण अगले साल तक वित्तीय संकट और बढ़ जाएगा।
ब्याज दरों में वृद्धि 2023 में वैश्विक मुद्रास्फीति दर को लगभग 5 प्रतिशत तक ही थामें रखने की क्षमता रखती है, जो कि महामारी से पहले के पांच साल के औसत से लगभग दोगुनी होगी। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा, “कम मुद्रास्फीति दर, मुद्रा स्थिरता और तेज विकास हासिल करने के लिए, नीति निर्माता अपना ध्यान खपत को कम करने से हटा कर उत्पादन को बढ़ाने के लिए स्थानांतरित कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “नीतियों (Policies) को अतिरिक्त निवेश उत्पन्न करने और उत्पादकता एवं पूंजी आवंटन में सुधार करने की तलाश करनी चाहिए, जो विकास और गरीबी में कमी के लिए महत्वपूर्ण हैं। अध्ययन के अनुसार,कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही तेज मंदी के दौर से गुजर रही है, और वैश्विक मंदी (global recession) की चेतावनी दुनिया भर में धधक रही है।
इस बीच, भारत जैसे देश, जो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, अगर इनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की दर लगातार पांच वर्षों तक 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से भी बढ़ती है, तो भी भारत जैसा देश प्रभावित हो सकता है क्योंकि यह मुख्य रूप से दुनिया भर के कई देशों से आयात पर निर्भर करता है।
How To Combat Global Recession?
वैश्विक मंदी का मुकाबला कैसे करें?
विश्व बैंक के अनुसार, श्रम बाजार (labour market) की बाधाओं को कम करके, वस्तुओं और सेवाओं की वैश्विक आपूर्ति को बढ़ाकर एवं वैश्विक व्यापार नेटवर्क को मजबूत करके, हर देश वैश्विक मंदी का सामूहिक रूप से मुकाबला किया जा सकता है। सरकार को कीमतों के दबाव को कम करने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे अधिक आर्थिक भागीदारी देखी जा सके।
भारत सहित एशियाई देश वैश्विक मंदी के प्रभावों से निपटने के लिए वस्तुओं की उत्पादन दर को बढ़ाने के लिए उच्च खपत से अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। वैश्विक मंदी के प्रभावों से निपटने के लिए भारत सहित एशियाई देश अपना ध्यान उच्च खपत से हटाकर उत्पादन दर बढ़ाने पर लगा सकते हैं। यहां केंद्रीय बैंक भी अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि उनके नीतिगत फैसले किसी देश की ब्याज और महंगाई दर को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं।